वैक्सीन के दोनों डोज लगे हों तो भी कोरोना हो सकता है, लेकिन गंभीर लक्षणों की आशंका 100% तक कम; संक्रमण से मौत नहीं होगी
कुछ लोगों को दूसरे डोज के बाद भी कोरोना हो रहा है। यह कैसे संभव है?
वैक्सीनेशन से जुड़ी तमाम भ्रांतियों और सवालों पर दैनिक भास्कर ने इंदौर के महात्मा गांधी मेमो. हॉस्पिटल में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. वीपी पांडे और शेल्बी ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के कंसल्टिंग फिजिशयन डॉ. अजय परीख से बात की। जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ...
वैक्सीन कोरोना को पूरी तरह रोक देगी या कोरोना होने पर उसके असर को कम करेगी?
डॉ. अजय परीखः वैक्सीन कोरोना होने पर उसके असर को कम कर देगी। यह शील्ड है यानी कवच। वह सर्दी-जुकाम रह जाएगा।
डॉ. वीपी पांडेः वैक्सीन की इफेक्टिवनेस या एफिकेसी बताई जाती है कि वैक्सीन 84% या 91% एफिकेसी रखती है। यानी उन 84% या 91% लोगों में संक्रमण नहीं होगा। इसका मतलब बचे हुए 16% या 9% लोगों को इन्फेक्शन हो सकता है। अभी तक के रिसर्च के मुताबिक रोग की गंभीरता को कम करने में वैक्सीन 100% तक इफेक्टिव है, मृत्यु को 100% रोक सकती है।
लोगों को वैक्सीन का पहला डोज लगाने के बाद भी कोरोना हो रहा है। ऐसा क्यों?
डॉ. अजय परीखः वैक्सीन का पहला डोज लेते हैं तो वह शरीर को बताता है कि यह वायरस है, जो आपको इन्फेक्ट कर सकता है। तब शरीर उससे लड़ने की क्षमता खुद ही विकसित कर लेता है। पहला डोज भी दो-चार सप्ताह में कुछ प्रतिशत तक एंटीबॉडी बना लेता है। यह अलग-अलग वैक्सीन के लिए 50 से 70% तक होती है।
डॉ. वीपी पांडेः वैक्सीन की संरचना कुछ ऐसी है कि वह शरीर में जाकर एंटीबॉडी रिएक्शन शुरू करती है। शरीर में एंटीबॉडी बनने में वक्त लगता है। ऐसा नहीं है कि आज वैक्सीन लगाई और शाम से इन्फेक्शन नहीं होगा। अभी कोरोना बेहद संक्रामक है। पहला डोज लगने के 15-20 दिन बाद एंटीबॉडी बनने लगती हैं। पर वह इतनी नहीं कि कोरोना को रोक सके। तभी दूसरी डोज लगाते हैं, जिसे बूस्टर कहते हैं।
कुछ लोगों को दूसरे डोज के बाद भी कोरोना हो रहा है। यह कैसे संभव है?
डॉ. अजय परीखः इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए और यह भी नहीं सोचना चाहिए कि वैक्सीन प्रभावशाली नहीं है। वैक्सीन का काम है कोरोनावायरस के प्रभाव को कम करना। दूसरे डोज के 15 दिन बाद वायरस के गंभीर लक्षण पैदा करने की क्षमता शून्य हो जाती है।
डॉ. वीपी पांडेः अगर लोग वैक्सीन के दो डोज लेने के बाद ढिलाई बरतेंगे तो इन्फेक्शन का खतरा बढ़ेगा। अच्छी बात यह है कि दूसरा डोज लगने के 15 दिन बाद हम कह सकते हैं कि वायरस इन्फेक्शन हुआ तो भी वह गंभीर नहीं होगा। मृत्यु तक तो जाएगा ही नहीं। भारत में 21 अप्रैल तक सिर्फ 1 से 1.5% आबादी को ही दोनों डोज लग पाए हैं। 70% लोग टीका लगवा लें तो हर्ड इम्युनिटी संभव है।
वैक्सीन लगवाने के फायदे क्या हैं और नुकसान क्या हैं?
डॉ. अजय परीख के मुताबिक वैक्सीन लगवाने का फायदा यह है कि कोरोना संक्रमण हुआ भी तो 99% मरीजों का इलाज घर पर ही हो सकेगा। अस्पतालों पर लोड नहीं बढ़ेगा। वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की जरूरत नहीं होगी। कोरोना इन्फेक्शन भी महज फ्लू होकर रह जाएगा। यूएस का डाटा कहता है कि 24 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगी और उसमें से कुछ सौ लोगों को ही समस्याओं का सामना करना पड़ा है। वहीं सही मायनों में इसके फायदों के सामने नुकसान तो कुछ है ही नहीं। कुछ लोगों में गंभीर साइड इफेक्ट्स हुए हैं, पर उनकी संख्या बहुत ही कम है और प्रतिशत में शून्य के करीब। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगवानी चाहिए।
डॉ. वीपी पांडे कहते हैं कि हम मानकर चल रहे हैं कि 70% लोगों को वैक्सीन लगी होगी या बाकी लोगों को कोरोनावायरस हो चुका होगा तो हर्ड इम्युनिटी बनेगी। इससे जिन्हें इन्फेक्शन नहीं हुआ है और जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगाई है, उन्हें भी एक तरह से सुरक्षा घेरा मिल जाएगा। वैक्सीन के दो डोज लगाने के 40-45 दिन बाद शरीर में इतनी एंटीबॉडी बन चुकी होंगी कि वह वायरस को नष्ट कर देगा। उसे बढ़ने नहीं देगा। वहीं नुकसान में कुछ लोगों को अलग-अलग कारणों से एलर्जी होती है। वैक्सीन से रैशेस भी हो सकते हैं। कुछ लोगों को सिरदर्द भी हो सकता है। पर ऐसे साइड इफेक्ट्स की संख्या वाले बहुत ही कम हैं। थ्रोम्बोसिस की आशंका रहती है, पर अमेरिका के ही आंकड़े कहते हैं कि एक करोड़ लोगों में से 6 लोगों को समस्याएं आईं। यह भी उन महिलाओं को जो गर्भनिरोधक लेती हैं। लंबे समय तक यात्रा करने वाले लोगों, मोटे लोगों को भी यह समस्या हो सकती है। पर इनकी संख्या इतनी कम है कि हम किसी को वैक्सीन देने से इनकार नहीं कर सकते। अच्छी बात यह है कि भारत में किसी भी वैक्सीन से इस तरह के गंभीर साइड-इफेक्ट्स देखने को नहीं मिले हैं।
क्या 18+ के हर नागरिक को वैक्सीन लगवाना ही चाहिए?
डॉ. अजय परीखः बिल्कुल लगवानी ही चाहिए। भारत उन चुनिंदा देशों में से एक है, जहां यह सुविधा 1 मई से शुरू हो रही है। अमेरिका ने कुछ दिन पहले ही अपने यहां सभी वयस्क आबादी को वैक्सीनेट करना शुरू किया है। हम भाग्यशाली हैं कि हमें यह मौका मिला है। हमें यह वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए।
डॉ. वीपी पांडेः हम तो जनवरी से ही मांग कर रहे थे कि जल्द से जल्द पूरी आबादी को वैक्सीनेट करने की जरूरत है। युवा लोग सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं। बाहर जाते हैं और लोगों से मिलते-जुलते हैं। इन्हें प्रोटेक्शन मिलेगा तो संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी। इंग्लैंड ने 45% और इजरायल ने 58% आबादी को वैक्सीनेट कर लिया है। यह देश अब खुल रहे हैं। इन्होंने कोरोना को काफी हद तक काबू कर लिया है। उन्होंने हर्ड इम्युनिटी डेवलप कर ली है। हमारे यहां भी जिसे भी मौका मिले, उसे जरूर वैक्सीन लगानी चाहिए।
Source :- Dainik bhaskar
Also read :-
How to download Gta 5
नए कोविड स्ट्रेन लक्षण मूल से अलग कैसे हैं
कोरोना वायरस से बचाव हेतु सुझाव
Comments
Post a Comment